Saturday, November 13, 2010

उद्वोधन


कहियो पूर्णिमा सन आलोकित,
मैथिल, मिथिला आ मैथिली,
घोर अन्हरियामे हराओल अ,
किछ दूर टिमटिमाइत तारा सन,
किछ मिटैल पगडण्डी,
रि-धुरिमे ओझराल अ,
सभ्यातक सूर्य,
कहिया परिचयके बदलि देलक,
किछ आभासो नै भेल,
मुदा !
जहन-जहन पाछू तकैत छी,
ह्रदयमे किछु उथल-पुथल,
बहरा लेल व्याकुल अ,
मुदा !
भीतरे-भीतर घुटि जाइत अ,
स्वच्छन्दता- स्वतंत्रता नै अ,
अपन अहंग,
सैहबी डोरीमे बन्हाए,
जाबी लगौने,
बरद जका ऑफिसक दाउनमे लागल छी,
अपन सहजता-सरलतास डेराइ,
जे पाछू नै भ जा,
अपन परिचयस भगैत,
नव परिचय बनाबैमे लागल छी,
मुदा !
ओ स्वर्णिम गौरव गाथा,
कोना लिखब,
माता-पिता आ पूर्वजक प्रति श्रद्धा बिनु,
भाषाक प्रेम सिनेह बिनु,
कोन रंगस रंगब
अपन कैनवासके…..
कोन गीतस सजैब
अपन जीवनके……
मुदा !
हम सुतल नै छी,
मरल नै छी,
जागल छी,
हमर अल्हड़ता, हमर सहजता, हमर नम्रता
हमर परिचय अ,
सभ्यातक आलोकस आलोकित,
आब हम समर्थवान छी,
किक ने अपन समृद्धि,
अपन परिचयकेँ सींची,
अतीत त स्वर्णिम छल,
आब आ आ आबैबला काल्हि,
के सेहो स्वर्णिम बनाबी,
गोटे मिली कऽ,
एक दोसरके मैथिलीक रपान कराबी.


पंकजझा23@ जीमेल.कॉम

5 comments:

  1. MAITHIL ras sa sarabor bha gelaun.bahot hi nik saili.... utkrista kavita........jai maithil jai mithila.......

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  2. MAITHIL TATHA MADHUR ME SANATAN KE MITRATA CHAI... AHANK KAWITA ME APURVA MADHURATA BHETAL....

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  3. प्रिय पंकज जी अहाँक कविता " उद्वोधन " सचमुच मैथिली के रशपान करबैत अइ आ संग-संग अपन भाषक प्रति जे कर्तब्य अइ सेहो स्मरण करबैत अइ. अहाँक प्रयाश सफलता के शिखर पर पहुंचय ...धन्यवाद

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  4. Pankaj bhai apnek blog par neek jankari bheta tahi lel koom beshi dhanyabad..apan mati pani lel ehina sakriya bha kaj karait rahu etbak hamar aagrah.

    fursat me hamar blog-padhi sakait chhi
    http://kishan-karigar.blogspot.com
    http:// kishan-naadan.blogspot.com

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  5. bahut hi nik prayash ....
    apan sanskriti par garv hobak chahi ...sath sath apan ehan mahan sanskriti ke raksha hetu sachet rahanai apan sabhak kartabya....

    bahut hi badiya sandesh delon

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