कहियो पूर्णिमा सन आलोकित,
मैथिल, मिथिला आ मैथिली,
आइ घोर अन्हरियामे हराओल अइ,
किछ दूर टिमटिमाइत तारा सन,
किछ मिटैल पगडण्डी,
आरि-धुरिमे ओझराएल अइ,
सभ्यातक सूर्य,
कहिया परिचयकेँ बदलि देलक,
किछ आभासो नै भेल,
मुदा !
जहन-जहन पाछू तकैत छी,
ह्रदयमे किछु उथल-पुथल,
बहराइ लेल व्याकुल अइ,
मुदा !
भीतरे-भीतर घुटि जाइत अइ,
स्वच्छन्दता- स्वतंत्रता नै अइ,
अपन अहंग,
सैहबी डोरीमे बन्हाएल,
जाबी लगौने,
बरद जकाँ ऑफिसक दाउनमे लागल छी,
अपन सहजता-सरलतासँ डेराइत,
जे पाछू नै भऽ जाइ ,
अपन परिचयसँ भगैत,
नव परिचय बनाबैमे लागल छी,
मुदा !
ओ स्वर्णिम गौरव गाथा,
कोना लिखब,
माता-पिता आ पूर्वजक प्रति श्रद्धा बिनु,
भाषाक प्रेम सिनेह बिनु,
कोन रंगसँ रंगब
अपन कैनवासकेँ…..
कोन गीतसँ सजैब
अपन जीवनकेँ ……
मुदा !
हम सुतल नै छी,
मरल नै छी,
जागल छी,
हमर अल्हड़ता, हमर सहजता, हमर नम्रता
हमर परिचय अइ,
सभ्यातक आलोकसँ आलोकित,
आइ आब हम समर्थवान छी,
तँ किएक ने अपन समृद्धिसँ,
अपन परिचयकेँ सींची,
अतीत तँ स्वर्णिम छल,
आब आइ आ आबैबला काल्हि,
केँ सेहो स्वर्णिम बनाबी,
सभ गोटे मिली कऽ,
एक दोसरकेँ मैथिलीक रसपान कराबी.
पंकजझा23@ जीमेल.कॉम
MAITHIL ras sa sarabor bha gelaun.bahot hi nik saili.... utkrista kavita........jai maithil jai mithila.......
ReplyDeleteMAITHIL TATHA MADHUR ME SANATAN KE MITRATA CHAI... AHANK KAWITA ME APURVA MADHURATA BHETAL....
ReplyDeleteप्रिय पंकज जी अहाँक कविता " उद्वोधन " सचमुच मैथिली के रशपान करबैत अइ आ संग-संग अपन भाषक प्रति जे कर्तब्य अइ सेहो स्मरण करबैत अइ. अहाँक प्रयाश सफलता के शिखर पर पहुंचय ...धन्यवाद
ReplyDeletePankaj bhai apnek blog par neek jankari bheta tahi lel koom beshi dhanyabad..apan mati pani lel ehina sakriya bha kaj karait rahu etbak hamar aagrah.
ReplyDeletefursat me hamar blog-padhi sakait chhi
http://kishan-karigar.blogspot.com
http:// kishan-naadan.blogspot.com
bahut hi nik prayash ....
ReplyDeleteapan sanskriti par garv hobak chahi ...sath sath apan ehan mahan sanskriti ke raksha hetu sachet rahanai apan sabhak kartabya....
bahut hi badiya sandesh delon