Thursday, October 13, 2011

आऊ सूनु कने बात हमर.....


आऊ सूनु कने बात हमर,

नै पकरू अहाँ कान हमर,
कहै छि हम आई कनी अप्रियगर,
मुदा पिबहे पडत क्रोधक जहर,
अहंकार आ क्रोध के,
कंठे में धरु,
अहाँ आब नीलकंठ बनू,
जेकरा पुजैत एलहूँ सब दिन,
वैह महादेव बनू अहाँ,
ध्यान करू,
कनि ज्ञान करू,
विज्ञानक अहाँ संग धरु,
परंपरा के बुझु अहाँ,
तर्क तथ्य स तौलू अहाँ,
कसौटी पर कसलाक बादे,
ओकरा अहाँ अंगीकार करू,
अंध मोहि ध्रितराष्ट्र जँका,
आ  गांधारी ने बनू अहाँ,
हिसाब करू,
कनी विचार करू,
अलग अलग विधा स साक्षात करू,
अध्यन करू,
निर्माण करू,
श्रीजनात्मक्ताक अहाँ आयाम बनू,
तास छोडू,
भाँग छोड़ू,
बिना बात के बात छोड़ू,
अपन बड़ाई के राग छोड़ू,
दलानक बैसार छोड़ू,
राजनीत के कौचर्य छोड़ू,
आब समय नै भोज भात के,
आब समय अई समय संग चलै के,
उच्च अध्यन में पाई लगाऊ,
व्यपार बाणिज्य स हाथ मिलाऊ,
अपन सहजता अपन शरलता,
अपन दर्शन के और बढ़ाऊ,
इतिहास में नै,
आब बर्तमान के
अपन कर्मठता स सजाऊ,
विज्ञान के ज्ञाता बनू,
दर्शन में छलहूँ अग्रणी,
आब विज्ञानक बारी अई,
पूजा पाठ के विज्ञान स जोरू,
नियम निष्ठा के स्वास्थ्य स जोरू,
तहने टा कल्याण हैत,
जहने पान माछ मखान स उबरब,
खेबा टा के सिर्फ बात ने करब,
साँस साँस में ध्यान करब,
आ बात बात में विज्ञान,
गणित गणित के  चर्चा में,
तकनिकक आधुनिकता में,
समय अपन पूरा बितैब,
कनी याद करू,
सीता उठाबै छलीह शिव धनुष,
आ अहाँ दबल छि दहेज़क  दुर्बलता  ,
गाम गाम नशा में डूबल,
कुंठा के निक्षेप स भरल,
आरोप आ प्रत्यारोप स उबरु,
अपना के अहाँ कला स जोरू,
आब समय विश्रामक नै अई,
आब परिश्रम के अई जरूरत,
जनक के गीते टा नै गाऊ,
फेर जनक जँका विज्ञानक हर चलाऊ.
ज्ञानक मटकुर में सीता निकलतिह,
लक्ष्मी स भरपूर धरती,
राम पुरुषार्थ स्वयं औताह,
सीता के वरन करताह,
कतौ दुख के बास नै हैत,
सबहक मोन निर्मल भ जैत,
माता पिता ने डेरैल रहताह,
बाल बच्चा के पढैल करताह,
गाम गाम में हैत विज्ञानक चर्चा,
हर्षित मोन में खुश्हालिक बर्षा,
खेल खेल में गणितक पाठ,
बैसारी में कविता कहानी,
पुनः मैथिल ज्ञान विज्ञान स आलोकित,
करताह पूरा जग में इजोत |


Thursday, May 26, 2011

ठाढ़ छि



ठाढ़ छि
समयक-शेषनाग बन्हैल छि
सत्य असत्यक बिच
मथनी जँका मथाई छि
मंदराचल जँका
तटस्थ
कच्छप पर 
देवता दिश एक बेर
असुरक दिश एक बेर
खींचल जैत छि
अपने धुरी पर
पृथ्वी जँका
दिन राइत में बंटैल छि

संतुलन आ असंतुलन के खेल


अजब
देहक संरचना अई
मैट पैन बनल
मुदा !
संतुलनेटा में जीवन अई
थोड़बे असंतुलन
पुनः
मैट पैन
अलग भै जैत अई
जीवन जड़ संग बिना
देह ख़त्म भै जैत अई
बड़ा कठिन अई
देहक संतुलन के बनौनाई
देह के बचा रैख पौनाई
हर छन देहक प्रकृति बदलैत छैक
संतुलन असंतुलन के क्रम चलैत छैक
मैट के पैन
पैन के मैट
जुड़नाई बिछरनाई
चलैत रहैत छैक
देहक निर्माण
देहक अबसान
संतुलन असंतुलन के खेल छैक

आनंदक रहस्य



देखलहुं आदमीक स्वभावक स्वरुप
जहन जहन बिपत्ति अबै छैन
मोनक कटुता दूर टै छैन
मीठ बोल सहयोगी बनै छैथ
पुनः
समय अनुकूल होइते
मोन जहर भैर जैत छैन
अजब गजब परिवर्तन
तुरंत तुरंत
एके व्यक्ति के
अलग अलग व्यबहार
समय के अंतराल में
केना रक्त के प्रवाह
बदैल देत छैक
भावनाक स्वरुप के
समझ परे छैक
बुझैत समझैत जनैत
मुदा !
समय  हारैत
व्यक्ति स्वयं
घुटन महशुश करैत छैथ
मुदा !
अभ्यास हावी होइत छैन
अभ्यासक परिहास
मुदा !
सब निर्माण
ईश्वर के कैल छैन
प्रिज्म जँका
भावनाओ के
अलग अलग रूप में
परावर्तित करैक छमता
मनुष्यक ह्रदय में बनौने छैथ
विस्मित करैया
मुदा !
कोनो व्यक्ति विशेष नई
निर्माण कर्ता के निर्माण अई
स्वभावक सच स्वरुप तैं
समझनाई थोड़ेक कठिन अई
तैं
एकरा माईन लेला मात्र
प्रसन्नता सहजे भेटनाईये अई

ओझरैल हमर बौद्धिक मोन


एक अबोध
ह्रदय के शूल
बिना कोनो कारने
अई जन्मक भूल बिना
जहन भोगी रहल अई
दंड पूर्व जन्म के
तहनेटा पता चलैत अई
जन्मांतरक् खेल
ओना सबटा
मिथ्या लगैत अई
विज्ञानक सोच में
ओझरैल हमर बौद्धिक मोन
ईस्वरक लीला मानैक लेल तैयार नै अई
मुदा !
जन्मे  राजा 
जन्मे रंक
जीवन के अनन्त रंग में
ऐना सनैल अई
कि सब किछ माया अई
वर्षाक बुलबुला जँका
रंगीन
मुदा !
फुटलाक बाद
कतौ किछ नै
(आर एम एल हॉस्पिटल में एक बच्चा ह्रदय रोग पीड़ित छल)