देखलहुं आदमीक स्वभावक स्वरुप
जहन जहन बिपत्ति अबै छैन
मोनक कटुता दूर हटै छैन
मीठ बोल सहयोगी बनै छैथ
आ पुनः
समय अनुकूल होइते
मोन जहर स भैर जैत छैन
अजब गजब परिवर्तन
तुरंत तुरंत
एके व्यक्ति के
अलग अलग व्यबहार
समय के अंतराल में
केना रक्त के प्रवाह
बदैल देत छैक
भावनाक स्वरुप के
समझ स परे छैक
बुझैत समझैत जनैत
मुदा !
समय स हारैत
व्यक्ति स्वयं
घुटन महशुश करैत छैथ
मुदा !
अभ्यास हावी होइत छैन
आ ओ अभ्यासक परिहास
मुदा !
ई सब निर्माण
ईश्वर के कैल छैन
प्रिज्म जँका
भावनाओ के
अलग अलग रूप में
परावर्तित करैक छमता
मनुष्यक ह्रदय में बनौने छैथ
विस्मित त करैया
मुदा !
ई कोनो व्यक्ति विशेष नई
निर्माण कर्ता के निर्माण अई
स्वभावक सच स्वरुप तैं
समझनाई थोड़ेक कठिन अई
आ तैं
एकरा माईन लेला मात्र स
प्रसन्नता सहजे भेटनाईये अई
No comments:
Post a Comment